Sunday, 29 August 2010

हमे डूबोके उन्हे कौनसा साहिल मिलेगा?
हमे रुलाके उन्हे कौनसी मेहफिल मिलेगी?
कि सजा देंगे रोशनिसे वो अपना घर?
और मौत का हमारे त्योहार बनेगा?


क्या हिज्र के बाद उन्हे सुकून मिलेगा?
और क्या रात के अंधेरे मी चैन मिलेगा?
जाम दिखेगा और जाम मिलेगा.
पर मेरे हयात का ना नाम मिलेगा

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