Sunday 29 August 2010

किनारा पास होके..कश्ती मी जो जाना चाहे उसे कौन रोके?
अपनी तकलीफ को दावत दे के जो बुलाये उसे  कौन रोके?
रोके उसे कि जिसे  सहारा चाहिये सचमुच...
जो खुद हि डूब जाने कि तमन्ना रखे उसे कौन रोके

हमे डूबोके उन्हे कौनसा साहिल मिलेगा?
हमे रुलाके उन्हे कौनसी मेहफिल मिलेगी?
कि सजा देंगे रोशनिसे वो अपना घर?
और मौत का हमारे त्योहार बनेगा?


क्या हिज्र के बाद उन्हे सुकून मिलेगा?
और क्या रात के अंधेरे मी चैन मिलेगा?
जाम दिखेगा और जाम मिलेगा.
पर मेरे हयात का ना नाम मिलेगा

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