Saturday, 2 October 2010

वो कारवा गुजर गये,

वो शाम गुजर गई.

बदल गई है जिंदगी,

लेकीन कमबक्त चाह वही रहि.

1 comment:

  1. चाह वही रही....
    यही तो सच्ची शक्ती है जीवनकी...मत बुझने देना वो चाह....

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